
1- क्या लिखूं तेरी तारीफ-ए-सूरत में यार, अलफ़ाज़ कम पड़ रहे हैं तेरी मासूमियत देखकर।

2- किस से तुलना करूँ तेरी खूबसूरती की, तुझ सा खूबसूरत इस जहाँ में कुछ भी नहीं।

3- उजाला मन में था दुनिया सवेरे में ढूंढती रह गई, खूबसूरती किरदार में थी दुनिया चेहरे में ढूंढती रह गई।

4- जवान दिलों की भी आगे तेरे सांस ख़त्म हो जाए, तू कोहिनूर से बढ़ कर है तेरे आगे हीरों की तराश ख़त्म हो जाए।

5- तुझ सा अगर कोई ज़रा भी खूबसूरत हो जाए, तो तुझ सा तो नहीं पर वो भी बहुत खूबसूरत हो जाए।

6- तेरी सादगी का हुस्न भी लाजवाब है मुझे नाज़ है के तू मेरा प्यार है।

7- चाहता हूँ मैं तुम्हे तुम भी इस बात से वाखिफ़ हो, तुम्हरी तारीफ़ क्या करूँ तुम खुद ही तारीफ हो।

8- ये शायरी खूबसूरत ना होती जो इसमें तेरे चेहरे का ज़िकर ना होता।

9- अगर चुप रह जाऊं तो नाराज़ ना हो, अगर खूबसूरती बयां करने को तेरी अलफ़ाज़ ना हो।

10- आँखे सारे जहां की तेरी खूबसूरती का मायने देखता रह जाता है, तू जब आयना देखती है सनम तुझे आयना देखता रह जाता है।
11- तेरे चेहरे से नज़र हट सके तो तेरी खामियों पर नज़र जा सके, लफ्ज़ मिल जाएं जो तेरी खूबसूरती बयां करने को तो तू कितनी खूबसूरत हैं तुझे बता सके।
12- वो मुझसे रोज़ कहती थी मुझे तुम चाँद ला कर दो, आज उसे एक आयना दे कर अकेला छोड़ आया हूँ।
13- हटा के ज़ुल्फ़ चहरे से, न तुम छत पर शाम को जाना, कहीं कोई ईद ना करले सनम, अभी रमज़ान बांकी है।
14- सादगी तेरी संवारती है तुझे, तेरी खूबसूरती देख जी रहे है तेरी ये सादगी मारती है मुझे।

15- मुझको मालूम नहीं हुस्न की तारीफ, मेरी नज़रों में हसीं वो है जो तुम सा है।
16- आधे लोग तुझे जान मान कर जी रहे हैं, आधे लोगों की तुझे देख कर जान पर बन आती है।
17- नजर से जमाने की खुद को बचाना, किसी और से देखो दिल ना लगाना, की मेरी अमानत हो तुम, बहुत खूबसूरत हो तुम।
18- नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं रात भर, कसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नहीं देता।
19- दीदार हो जाता है दिन कोई भी हो, लेकिन मेरे लिए त्यौहार हो जाता है।

20- तुझे देख जी ही नहीं भरता है, तू जब चलती है सड़कों पर ऐसा लगता है चाँद ज़मीन पर उतरता है।
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21- जीयूं तेरे लिए मैं सिर्फ तुझ पर ही मरूं, आँखे, जिस्म, अंदाज़ लिबाज़ अब किस-किस की तारीफ करूँ।
22- हर बार हम पर इल्जाम लगा देते हो मुहब्बत का, कभी खुद से भी पूंछा है इतनी खूबसूरत क्यों हो।
23- कुछ अपना अंदाज हैं कुछ मौसम रंगीन हैं, तारीफ करूँ या चुप रहूँ जुर्म दोनो ही संगीन हैं।
24- देख रहा हूँ खुद अपनी आँखों से, तेरा चहरा देख खुद को हाथों से निकलते हुए।
25- मुसीबत सा था वो तेरे गालों पे झुमकों का झूला जाना, जब कहने मैं आया अपनी दिल की बात लाज़मी था मेरा भूल जाना।
26- खामखा नहीं मेरा तुम्हे रोज़ यूँ खफा कर देना, खफा हो कर तुम और खूबसूरत लगती हो।
27- कितना हसींन चाँद सा चेहरा है, उसपे शबाब का रंग गहरा है, खुदा को यक़ीन ना था वफा पे, तभी तो एक चाँद पे हजारों तारों का पहरा है।
28- कब निकलोगी घर से बता दिया करो, हमे चाँद का नहीं तुम्हारा दीदार करना अच्छा लगता है।
29- तेरे वजूद से हैं मेरी मुक़म्मल कहानी, मैं खोखली सीप और तू मोती रूहानी।
30- तारीफ हर तरफ से मिलती होगी तुझे बेशक, पर हमारी तरह तेरे हुस्न के कोई क़सीदे नहीं पड़ता होगा।